वो शक्ति स्वरूपा मैत्री है
वो शक्ति स्वरूपा मैत्री है जी हाँ वो एक स्त्री है वो बंधन है वो आज़ाद भी है वो पुण्य भी है वो पाप भी है वो उन्नति है तो है अवनति भी वो कोमल है तो है कठोर भी वो तुमसे है तो तुम उससे भी वो ठहराव है तो है बहाव भी वो ऑंधी भी है तो है बहार भी वो मित्र है तो है एक दुश्मन भी वो सफ़ल है तो कहीं है असफ़ल भी वो पुकार है तो है मन की चित्कार भी वो ख़ुशी है तो है दुःखों का अंबार भी वो सुर्ख गुलाबों की खुशबू है तो है अंधेरों की बयार भी वो है जो प्राणों से प्यारी तुम्हें तो है प्राणों की घातक भी वो है सन्धि तुम्हारे रिश्तों की तो है बिखरने की वज़ह भी वो सृष्टि का आधार है तो है वो तुम्हारा उद्धार भी वो है वंशो की पोषक तो है वंशो की विनाशक भी वो है परिवार की संपोषक तो है स्वयं के लिए बलिहारी भी वो चाहे तो चाह के मिट जाए न चाहे तो है मिटा सकती भी तौलों लेकर तराजू जितना कम पड़ोगे आख़िर में तुम मानव ही एक पल में अपना बना कर जो छोड़ते हो तुम आहे भरने को उसने छोड़ा जो अग़र क़भी तो रहजाते हो जीते जी मरने को वो जानती है तुम्हारे महत्व को पर तुम कर न सकें क़दर उसकी समय ख़र्च की दुकान नहीं वो जो बिक जाये तुम्हें यूँ सस्ती स