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मानदंड किसके सापेक्ष हो?

 💐💐💐💐💐💐 *मानदंड किसके सापेक्ष?* शिक्षा में मानदंड का निर्धारण आवश्यक है पर किसके सापेक्ष ये स्तिथि बड़ी विस्मयकारी है। आप विद्यार्थियों के लिए निर्धारित करके हालत दिन पर दिन देख ही रहें है और अब आप अगर शिक्षकों के लिए मानदंड स्थापित करेंगे तो स्वयं खतरे में आजायेंगे। शिक्षक जो कि दूसरों का भविष्यनिर्माता है उससे बड़ा मैनिपुलेशन कौन कर सकेगा वो दिमाग़ से खेलना जानता है आप जितनी बाधा खड़ी करेंगे वो कैसे भी उन्हें पार तो कर ही लेगा। पर ऐसे में क्या उन मानदंड को पूरे करने के तरीक़े नहीं मायने रखतें है ये उस निर्धारित मानदंड का भाग है भी या नहीं? क्या एक व्यक्ति के व्यक्तिगत प्रयास पूरे सिस्टम के साथ लड़ सकता है? क्या मानदंड व्यक्तिसापेक्ष न होकर सिस्टम के सापेक्ष बनाने की आवश्यकता नहीं है? ऐसे में इन प्रश्नों का उठना लाज़मी भी है और तर्कसंगत भी। सुनते आए है अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता फ़िर ऐसे में सही के लिए अकेले तर्क़ करते-२ कहीं न कहीं विवश होकर लोग सिस्टम के आगे नतमस्तक हो ही जाते है। क्या भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने को एकमात्र और एकमेव यहीं रास्ता बचता है तो जब स्वयं के लिए रास्ता ही